4. उसके भविष्यद्वक्ता व्यर्थ बकने वाले और विश्वासघाती हैं, उसके याजकों ने पवित्रस्थान को अशुद्ध किया और व्यवस्था में खींच-खांच की है।
5. यहोवा जो उसके बीच में है, वह धर्मी है, वह कुटिलता न करेगा; वह अपना न्याय प्रति भोर प्रगट करता है और चूकता नहीं; परन्तु कुटिल जन को लज्जा आती ही नहीं।
6. मैं ने अन्यजातियों को यहां तक नाश किया, कि उनके कोने वाले गुम्मट उजड़ गए; मैं ने उनकी सड़कों को यहां तक सूनी किया, कि कोई उन पर नहीं चलता; उनके नगर यहां तक नाश हुए कि उन में कोई मनुष्य वरन कोई भी प्राणी नहीं रहा।
7. मैं ने कहा, अब तू मेरा भय मानेगी, और मेरी ताड़ना अंगीकार करेगी जिस से उसका धाम उस सब के अनुसर जो मैं ने ठहराया था, नाश न हो। परन्तु वे सब प्रकार के बुरे बुरे काम यत्न से करने लगे॥