7. तेरे कपोल तेरी लटों के नीचे अनार की फाँक से देख पड़ते हैं।
8. वहां साठ रानियां और अस्सी रखेलियां और असंख्य कुमारियां भी हैं।
9. परन्तु मेरी कबूतरी, मेरी निर्मल, अद्वैत है अपनी माता की एकलौती अपनी जननी की दुलारी है। पुत्रियों ने उसे देखा और धन्य कहा; रानियों और रखेलियों ने देखकर उसकी प्रशंसा की।