27. अपने दास इब्राहीम, इसहाक, और याकूब को स्मरण कर; और इन लोगों की कठोरता, और दुष्टता, और पाप पर दृष्टि न कर,
28. जिस से ऐसा न हो कि जिस देश से तू हम को निकाल कर ले आया है, वहां से लोग कहने लगें, कि यहोवा उन्हें उस देश में जिसके देश का वचन उन को दिया था नहीं पहुंचा सका, और उन से बैर भी रखता था, इसी कारण उसने उन्हें जंगल में निकाल कर मार डाला है।
29. ये लोग तेरी प्रजा और निज भाग हैं, जिन को तू ने अपने बड़े सामर्थ्य और बलवन्त भुजा के द्वारा निकाल ले आया है॥