1. फिर जब तू उस देश में जिसे तेरा परमेश्वर यहोवा तेरा निज भाग करके तुझे देता है पहुंचे, और उसका अधिकारी हो कर उन में बस जाए,
2. तब जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है, उसकी भूमि की भांति भांति की जो पहिली उपज तू अपने घर लाएगा, उस में से कुछ टोकरी में ले कर उस स्थान पर जाना, जिसे तेरा परमेश्वर यहोवा अपने नाम का निवास करने को चुन ले।
3. और उन दिनों के याजक के पास जा कर यह कहना, कि मैं आज तेरे परमेश्वर यहोवा के साम्हने निवेदन करता हूं, कि यहोवा ने हम लोगों को जिस देश के देने की हमारे पूर्वजों से शपथ खाई थी उस में मैं आ गया हूं।
4. तब याजक तेरे हाथ से वह टोकरी ले कर तेरे परमेश्वर यहोवा की वेदी के साम्हने धर दे।
5. तब तू अपने परमेश्वर यहोवा से इस प्रकार कहना, कि मेरा मूलपुरूष एक अरामी मनुष्य था जो मरने पर था; और वह अपने छोटे से परिवार समेत मिस्र को गया, और वहां परदेशी हो कर रहा; और वहाँ उस से एक बड़ी, और सामर्थी, और बहुत मनुष्यों से भरी हुई जाति उत्पन्न हुई।
6. और मिस्रियों ने हम लोगों से बुरा बर्ताव किया, और हमें दु:ख दिया, और हम से कठिन सेवा लीं।
7. परन्तु हम ने अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा की दोहाई दी, और यहोवा ने हमारी सुनकर हमारे दुख-श्रम और अन्धेर पर दृष्टि की;
8. और यहोवा ने बलवन्त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा से अति भयानक चिन्ह और चमत्कार दिखलाकर हम को मिस्र से निकाल लाया;
9. और हमें इस स्थान पर पहुंचाकर यह देश जिस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं हमें दे दिया है।
10. अब हे यहोवा, देख, जो भूमि तू ने मुझे दी है उसकी पहली उपज मैं तेरे पास ले आया हूं।
11. तब तू उसे अपने परमेश्वर यहोवा के साम्हने रखना; और यहोवा को दण्डवत करना;
12. और जितने अच्छे पदार्थ तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे और तेरे घराने को दे, उनके कारण तू लेवीयों और अपने मध्य में रहने वाले परदेशियों सहित आनन्द करना॥