7. किसी एदोमी से घृणा न करना, क्योंकि वह तेरा भाई है; किसी मिस्री से भी घृणा न करना, क्योंकि उसके देश में तू परदेशी हो कर रहा था।
8. उनके जो परपोते उत्पन्न होंवे यहोवा की सभा में आने पाएं।
9. जब तू शत्रुओं से लड़ने को जा कर छावनी डाले, तब सब प्रकार की बुरी बातों से बचा रहना।
10. यदि तेरे बीच कोई पुरूष उस अशुद्धता से जो रात्रि को आप से आप हुआ करती है अशुद्ध हुआ हो, तो वह छावनी से बाहर जाए, और छावनी के भीतर न आए;
11. परन्तु संध्या से कुछ पहिले वह स्नान करे, और जब सूर्य डूब जाए तब छावनी में आए।
12. छावनी के बाहर तेरे दिशा फिरने का एक स्थान हुआ करे, और वहीं दिशा फिरने को जाया करना;
13. और तेरे पास के हथियारों में एक खनती भी रहे; और जब तू दिशा फिरने को बैठे, तब उस से खोदकर अपने मल को ढांप देना।
14. क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को बचाने और तेरे शत्रुओं को तुझ से हरवाने को तेरी छावनी के मध्य घूमता रहेगा, इसलिये तेरी छावनी पवित्र रहनी चाहिये, ऐसा न हो कि वह तेरे मध्य में कोई अशुद्ध वस्तु देखकर तुझ से फिर जाए॥
15. जो दास अपने स्वामी के पास से भागकर तेरी शरण ले उसको उसके स्वामी के हाथ न पकड़ा देना;
16. वह तेरे बीच जो नगर उसे अच्छा लगे उसी में तेरे संग रहने पाए; और तू उस पर अन्धेर न करना॥
17. इस्राएली स्त्रियों में से कोई देवदासी न हो, और न इस्राएलियों में से कोई पुरूष ऐसा बुरा काम करने वाला हो।
18. तू वेश्यापन की कमाई वा कुत्ते की कमाई किसी मन्नत को पूरी करने के लिये अपने परमेश्वर यहोवा के घर में न लाना; क्योंकि तेरे परमेश्वर यहोवा के समीप ये दोनों की दोनों कमाई घृणित कर्म है॥
19. अपने किसी भाई को ब्याज पर ऋण न देना, चाहे रूपया हो, चाहे भोजन-वस्तु हो, चाहे कोई वस्तु हो जो ब्याज पर दी जाति है, उसे ब्याज न देना।
20. तू परदेशी को ब्याज पर ऋण तो दे, परन्तु अपने किसी भाई से ऐसा न करना, ताकि जिस देश का अधिकारी होने को तू जा रहा है, वहां जिस जिस काम में अपना हाथ लगाए, उन सभों को तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे आशीष दे॥
21. जब तू अपने परमेश्वर यहोवा के लिये मन्नत माने, तो उसके पूरी करने में विलम्ब न करना; क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा उसे निश्चय तुझ से ले लेगा, और विलम्ब करने से तू पापी ठहरेगा।