4. तू अपने भाई के गदहे वा बैल को मार्ग पर गिरा हुआ देखकर अनदेखी न करना; उसके उठाने में अवश्य उसकी सहायता करना॥
5. कोई स्त्री पुरूष का पहिरावा न पहिने, और न कोई पुरूष स्त्री का पहिरावा पहिने; क्योंकि ऐसे कामों के सब करने वाले तेरे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में घृणित हैं॥
6. यदि वृक्ष वा भूमि पर तेरे साम्हने मार्ग में किसी चिडिय़ा का घोंसला मिले, चाहे उस में बच्चे हों चाहे अण्डे, और उन बच्चों वा अण्डों पर उनकी मां बैठी हुई हो, तो बच्चों समेत मां को न लेना;
7. बच्चों को अपने लिये ले तो ले, परन्तु मां को अवश्य छोड़ देना; इसलिये कि तेरा भला हो, और तेरी आयु के दिन बहुत हों॥
8. जब तू नया घर बनाए तब उसकी छत पर आड़ के लिये मुण्डेर बनाना, ऐसा न हो कि कोई छत पर से गिर पड़े, और तू अपने घराने पर खून का दोष लगाए।
9. अपनी दाख की बारी में दो प्रकार के बीज न बोना, ऐसा न हो कि उसकी सारी उपज, अर्थात तेरा बोया हुआ बीज और दाख की बारी की उपज दोनों अपवित्र ठहरें।
10. बैल और गदहा दोनों संग जोतकर हल न चलाना।
11. ऊन और सनी की मिलावट से बना हुआ वस्त्र न पहिनना॥