17. तब यहोवा ने मुझ से कहा,
18. अब मोआब के सिवाने, अर्थात आर को पार कर;
19. और जब तू अम्मोनियों के साम्हने जा कर उनके निकट पहुँचे, तब उन को न सताना और न छेड़ना, क्योंकि मैं अम्मोनियों के देश में से कुछ भी तेरे अधिकार में न करूँगा, क्योंकि मैं ने उसे लूसियों के अधिकार में कर दिया है।
20. (वह देश भी रपाइयों का गिना जाता था, क्योंकि अगले दिनों में रपाई, जिन्हें अम्मोनी जमजुम्मी कहते थे, वे वहाँ रहते थे;
21. वे भी अनाकियों के समान बलवान और लम्बे लम्बे और गिनती में बहुत थे; परन्तु यहोवा ने उन को अम्मोनियों के साम्हने से नाश कर डाला, और उन्होंने उन को उस देश से निकाल दिया, और उनके स्थान पर आप रहने लगे;
22. जैसे कि उसने सेईर के निवासी ऐसावियों के साम्हने से होरियों को नाश किया, और उन्होंने उन को उस देश से निकाल दिया, और आज तक उनके स्थान पर वे आप निवास करते हैं।
23. वैसा ही अव्वियों को, जो अज्जा नगर तक गाँवों में बसे हुए थे, उन को कप्तोरियों ने जो कप्तोर से निकले थे नाश किया, और उनके स्थान पर आप रहने लगे।)
24. अब तुम लोग उठ कर कूच करो, और अर्नोन के नाले के पार चलो; सुन, मैं देश समेत हेशबोन के राजा एमोरी सीहोन को तेरे हाथ में कर देता हूँ; इसलिये उस देश को अपने अधिकार में लेना आरम्भ करो, और उस राजा से युद्ध छेड़ दो।
25. और जितने लोग धरती पर रहते हैं उन सभों के मन में मैं आज ही के दिन से तेरे कारण डर और थरथराहट समवाने लगूंगा; वे तेरा समाचार पाकर तेरे डर के मारे कांपेंगे और पीड़ित होंगे॥
26. और मैं ने कदेमोत नाम जंगल से हेशबोन के राजा सीहोन के पास मेल की ये बातें कहने को दूत भेजे,
27. कि मुझे अपने देश में से हो कर जाने दे; मैं राजपथ पर चला जाऊँगा, और दाहिने और बांए हाथ न मुड़ूँगा।
28. तू रूपया ले कर मेरे हाथ भोजनवस्तु देना कि मैं खाऊं, और पानी भी रूपया ले कर मुझ को देना कि मैं पीऊं; केवल मुझे पांव पांव चले जाने दे,
29. जैसा सेईर के निवासी ऐसावियों ने और आर के निवासी मोआबियों ने मुझ से किया, वैसा ही तू भी मुझ से कर, इस रीति मैं यरदन पार हो कर उस देश में पहुंचूंगा जो हमारा परमेश्वर यहोवा हमें देता है।