15. और जब तक वे नाश न हुए तब तक यहोवा का हाथ उन्हें छावनी में से मिटा डालने के लिये उनके विरुद्ध बढ़ा ही रहा
16. जब सब योद्धा मरते मरते लोगों के बीच में से नाश हो गए,
17. तब यहोवा ने मुझ से कहा,
18. अब मोआब के सिवाने, अर्थात आर को पार कर;
19. और जब तू अम्मोनियों के साम्हने जा कर उनके निकट पहुँचे, तब उन को न सताना और न छेड़ना, क्योंकि मैं अम्मोनियों के देश में से कुछ भी तेरे अधिकार में न करूँगा, क्योंकि मैं ने उसे लूसियों के अधिकार में कर दिया है।
20. (वह देश भी रपाइयों का गिना जाता था, क्योंकि अगले दिनों में रपाई, जिन्हें अम्मोनी जमजुम्मी कहते थे, वे वहाँ रहते थे;
21. वे भी अनाकियों के समान बलवान और लम्बे लम्बे और गिनती में बहुत थे; परन्तु यहोवा ने उन को अम्मोनियों के साम्हने से नाश कर डाला, और उन्होंने उन को उस देश से निकाल दिया, और उनके स्थान पर आप रहने लगे;
22. जैसे कि उसने सेईर के निवासी ऐसावियों के साम्हने से होरियों को नाश किया, और उन्होंने उन को उस देश से निकाल दिया, और आज तक उनके स्थान पर वे आप निवास करते हैं।