20. मैं उन्हीं पर सोचता रहता हूँ, इस से मेरा प्राण ढला जाता है।
21. परन्तु मैं यह स्मरण करता हूँ, इसीलिये मुझे आाशा है:
22. हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है।
23. प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है।
24. मेरे मन ने कहा, यहोवा मेरा भाग है, इस कारण मैं उस में आशा रखूंगा।
25. जो यहोवा की बाट जोहते और उसके पास जाते हैं, उनके लिये यहोवा भला है।
26. यहोवा से उद्धार पाने की आशा रख कर चुपचाप रहना भला है।