29. और तुम लोगों के लिये यह सदा की विधि होगी कि सातवें महीने के दसवें दिन को तुम अपने अपने जीव को दु:ख देना, और उस दिन कोई, चाहे वह तुम्हारे निज देश को हो चाहे तुम्हारे बीच रहने वाला कोई पर देशी हो, कोई भी किसी प्रकार का काम काज न करे;
30. क्योंकि उस दिन तुम्हें शुद्ध करने के लिये तुम्हारे निमित्त प्रायश्चित्त किया जाएगा; और तुम अपने सब पापों से यहोवा के सम्मुख पवित्र ठहरोगे।
31. यह तुम्हारे लिये परमविश्राम का दिन ठहरे, और तुम उस दिन अपने अपने जीव को दु:ख देना; यह सदा की विधि है।
32. और जिसका अपने पिता के स्थान पर याजक पद के लिये अभिषेक और संस्कार किया जाए वह याजक प्रायश्चित्त किया करे, अर्थात वह सनी के पवित्र वस्त्रों को पहिनकर,
33. पवित्रस्थान, और मिलापवाले तम्बू, और वेदी के लिये प्रायश्चित्त करे; और याजकों के और मण्डली के सब लोगों के लिये भी प्रायश्चित्त करे।
34. और यह तुम्हारे लिये सदा की विधि होगी, कि इस्त्राएलियों के लिये प्रतिवर्ष एक बार तुम्हारे सारे पापों के लिये प्रायश्चित्त किया जाए। यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार जो उसने मूसा को दी थी हारून ने किया॥