57. और यदि वह व्याधि तब भी उस वस्त्र के ताने वा बाने में, वा चमड़े की उस वस्तु में देख पड़े, तो जानना कि वह फूट के निकली हुई व्याधि है; और जिस में वह व्याधि हो उसे आग में जलाना।
58. और यदि उस वस्त्र से जिसके ताने वा बाने में व्याधि हो, वा चमड़े की जो वस्तु हो उससे जब धोई जाए और व्याधि जाती रही, तो वह दूसरी बार धुल कर शुद्ध ठहरे।
59. ऊन वा सनी के वस्त्र में के ताने वा बाने में, वा चमड़े की किसी वस्तु में जो कोढ़ की व्याधि हो उसके शुद्ध और अशुद्ध ठहराने की यही व्यवस्था है॥