19. भला यदि मैं शैतान की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूं, तो तुम्हारी सन्तान किस की सहायता से निकालते हैं? इसलिये वे ही तुम्हारा न्याय चुकाएंगे।
20. परन्तु यदि मैं परमेश्वर की सामर्थ से दुष्टात्माओं को निकालता हूं, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुंचा।
21. जब बलवन्त मनुष्य हथियार बान्धे हुए अपने घर की रखवाली करता है, तो उस की संपत्ति बची रहती है।
22. पर जब उस से बढ़कर कोई और बलवन्त चढ़ाई करके उसे जीत लेता है, तो उसके वे हथियार जिन पर उसका भरोसा था, छीन लेता है और उस की संपत्ति लूटकर बांट देता है।
23. जो मेरे साथ नहीं वह मेरे विरोध में है और जो मेरे साथ नहीं बटोरता वह बिथराता है।
24. जब अशुद्ध आत्मा मनुष्य में से निकल जाती है तो सूखी जगहों में विश्राम ढूंढ़ती फिरती है; और जब नहीं पाती तो कहती है; कि मैं अपने उसी घर में जहां से निकली थी लौट जाऊंगी।
25. और आकर उसे झाड़ा-बुहारा और सजा-सजाया पाती है।
26. तब वह आकर अपने से और बुरी सात आत्माओं को अपने साथ ले आती है, और वे उस में पैठकर वास करती हैं, और उस मनुष्य की पिछली दशा पहिले से भी बुरी हो जाती है॥
27. जब वह ये बातें कह ही रहा था तो भीड़ में से किसी स्त्री ने ऊंचे शब्द से कहा, धन्य वह गर्भ जिस में तू रहा; और वे स्तन, जो तू ने चूसे।
28. उस ने कहा, हां; परन्तु धन्य वे हैं, जो परमेश्वर का वचन सुनते और मानते हैं॥
29. जब बड़ी भीड़ इकट्ठी होती जाती थी तो वह कहने लगा; कि इस युग के लोग बुरे हैं; वे चिन्ह ढूंढ़ते हैं; पर यूनुस के चिन्ह को छोड़ कोई और चिन्ह उन्हें न दिया जाएगा।
30. जैसा यूनुस नीनवे के लोगों के लिये चिन्ह ठहरा, वैसा ही मनुष्य का पुत्र भी इस युग के लोगों के लिये ठहरेगा।
31. दक्खिन की रानी न्याय के दिन इस समय के मनुष्यों के साथ उठकर, उन्हें दोषी ठहराएगी, क्योंकि वह सुलैमान का ज्ञान सुनने को पृथ्वी की छोर से आई, और देखो यहां वह है जो सुलैमान से भी बड़ा है।
32. नीनवे के लोग न्याय के दिन इस समय के लोगों के साथ खड़े होकर, उन्हें दोषी ठहराएंगे; क्योंकि उन्होंने यूनुस का प्रचार सुनकर मन फिराया और देखो, यहां वह है, जो यूनुस से भी बड़ा है॥