8. जब वह अपने दलकी पारी पर परमेश्वर के साम्हने याजक का काम करता था।
9. तो याजकों की रीति के अनुसार उसके नाम पर चिट्ठी निकली, कि प्रभु के मन्दिर में जाकर धूप जलाए।
10. और धूप जलाने के समय लोगों की सारी मण्डली बाहर प्रार्थना कर रही थी।
11. कि प्रभु का एक स्वर्गदूत धूप की वेदी की दाहिनी ओर खड़ा हुआ उस को दिखाई दिया।
12. और जकरयाह देखकर घबराया और उस पर बड़ा भय छा गया।
13. परन्तु स्वर्गदूत ने उस से कहा, हे जकरयाह, भयभीत न हो क्योंकि तेरी प्रार्थना सुन ली गई है और तेरी पत्नी इलीशिबा से तेरे लिये एक पुत्र उत्पन्न होगा, और तू उसका नाम यूहन्ना रखना।
14. और तुझे आनन्द और हर्ष होगा: और बहुत लोग उसके जन्म के कारण आनन्दित होंगे।
15. क्योंकि वह प्रभु के साम्हने महान होगा; और दाखरस और मदिरा कभी न पिएगा; और अपनी माता के गर्भ ही से पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाएगा।
16. और इस्राएलियों में से बहुतेरों को उन के प्रभु परमेश्वर की ओर फेरेगा।
17. वह एलिय्याह की आत्मा और सामर्थ में हो कर उसके आगे आगे चलेगा, कि पितरों का मन लड़के बालों की ओर फेर दे; और आज्ञा न मानने वालों को धमिर्यों की समझ पर लाए; और प्रभु के लिये एक योग्य प्रजा तैयार करे।
18. जकरयाह ने स्वर्गदूत से पूछा; यह मैं कैसे जानूं? क्योंकि मैं तो बूढ़ा हूं; और मेरी पत्नी भी बूढ़ी हो गई है।
19. स्वर्गदूत ने उस को उत्तर दिया, कि मैं जिब्राईल हूं, जो परमेश्वर के साम्हने खड़ा रहता हूं; और मैं तुझ से बातें करने और तुझे यह सुसमाचार सुनाने को भेजा गया हूं।