46. तुम में से कौन मुझे पापी ठहराता है? और यदि मैं सच बोलता हूं, तो तुम मेरी प्रतीति क्यों नहीं करते?
47. जो परमेश्वर से होता है, वह परमेश्वर की बातें सुनता है; और तुम इसलिये नहीं सुनते कि परमेश्वर की ओर से नहीं हो।
48. यह सुन यहूदियों ने उस से कहा; क्या हम ठीक नहीं कहते, कि तू सामरी है, और तुझ में दुष्टात्मा है?
49. यीशु ने उत्तर दिया, कि मुझ में दुष्टात्मा नहीं; परन्तु मैं अपने पिता का आदर करता हूं, और तुम मेरा निरादर करते हो।