39. तुम पवित्र शास्त्र में ढूंढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उस में अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है, और यह वही है, जो मेरी गवाही देता है।
40. फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते।
41. मैं मनुष्यों से आदर नहीं चाहता।
42. परन्तु मैं तुम्हें जानता हूं, कि तुम में परमेश्वर का प्रेम नहीं।
43. मैं अपने पिता के नाम से आया हूं, और तुम मुझे ग्रहण नहीं करते; यदि कोई और अपने ही नाम से आए, तो उसे ग्रहण कर लोगे।
44. तुम जो एक दूसरे से आदर चाहते हो और वह आदर जो अद्वैत परमेश्वर की ओर से है, नहीं चाहते, किस प्रकार विश्वास कर सकते हो?