9. कि सब लोग अपने अपने दास-दासी को जो इब्री वा इब्रिन हों स्वाधीन कर के जाने दें, और कोई अपने यहुदी भाई से फिर अपनी सेवा न कराए।
10. तब सब हाकिमों और सारी प्रजा ने यह प्रण किया कि हम अपने अपने दास-दासियों को स्वतंत्र कर देंगे और फिर उन से अपनी सेवा न कराएंगे; सो उस प्रण के अनुसार उन को स्वतंत्र कर दिया।
11. परन्तु इसके बाद वे फिर गए और जिन दास-दासियों को उन्होंने स्वतत्र कर के जाने दिया था उन को फिर अपने वश में लाकर दास और दासी बना लिया।
12. तब यहोवा की ओर से यह वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा,
13. इस्राएल का परमेश्वर यहोवा तुम से यों कहता है, जिस समय मैं तुम्हारे पितरों को दासत्व के घर अर्थात मिस्र देश से निकाल ले आया, उस समय मैं ने आप उन से यह कह कर वाचा बान्धी
14. कि तुम्हारा जो इब्री भाई तुम्हारे हाथ में बेचा जाए उसको तुम सातवें बरस में छोड़ देना; छ: बरस तो वह तुम्हारी सेवा करे परन्तु इसके बाद तुम उसको स्वतंत्र कर के अपने पास से जाने देना। परन्तु तुम्हारे पितरों ने मेरी न सुनी, न मेरी ओर कान लगाया।