33. उन्होंने मेरी ओर मुंह नहीं वरन पीठ ही फेर दी है; यद्यपि मैं उन्हें बड़े यत्न से सिखाता आया हूँ, तौभी उन्होंने मेरी शिक्षा को नहीं माना।
34. वरन जो भवन मेरा कहलाता है, उस में भी उन्होंने अपनी घृणित वस्तुएं स्थापन कर के उसे अशुद्ध किया है।
35. उन्होंने हिन्नोमियों की तराई में बाल के ऊंचे ऊंचे स्थान बना कर अपने बेटे-बेटियों को मोलक के लिये होम किया, जिसकी आज्ञा मैं ने कभी नहीं दी, और न यह बात कभी मेरे मन में आई कि ऐसा घृणित काम किया जाए और जिस से यहूदी लोग पाप में फंसे।
36. परन्तु अब इस्राएल का परमेश्वर यहोवा इस नगर के विषय में, जिसके लिये तुम लोग कहते हो कि वह तलवार, महंगी और मरी के द्वारा बाबुल के राजा के वश में पड़ा हुआ है यों कहता है:
37. देखो, मैं उन को उन सब देशों से जिन में मैं ने क्रोध और जलजलाहट में आकर उन्हें बरबस निकाल दिया था, लौटा ले आकर इसी नगर में इकट्ठे करूंगा, और निडर कर के बसा दूंगा।
38. और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा