5. और मैं अपने सब साथियों समेत उस नगर के निकट जाऊंगा। और जब वे पहिले की नाईं हमारा साम्हना करने को निकलें, तब हम उनके आगे से भागेंगे;
6. तब वे यह सोचकर, कि वे पहिले की भांति हमारे साम्हने से भागे जाते हैं, हमारा पीछा करेंगे; इस प्रकार हम उनके साम्हने से भागकर उन्हें नगर से दूर निकाल ले जाएंगे;
7. तब तुम घात में से उठ कर नगर को अपना कर लेना; क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा उसको तुम्हारे हाथ में कर देगा।
8. और जब नगर को ले लो, तब उस में आग लगाकर फूंक देना, यहोवा की आज्ञा के अनुसार ही काम करना; सुनो, मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है।
9. तब यहोशू ने उन को भेज दिया; और वे घात में बैठने को चले गए, और बेतेल और ऐ के मध्य में और ऐ की पश्चिम की ओर बैठे रहे; परन्तु यहोशू उस रात को लोगों के बीच टिका रहा॥
10. बिहान को यहोशू सवेरे उठा, ओर लोगों की गिनती ले कर इस्राएली वृद्ध लोगों समेत लोगों के आगे आगे ऐ की ओर चला।
11. और उसके संग के सब योद्धा चढ़ गए, और ऐ नगर के निकट पहुंचकर उसके साम्हने उत्तर की ओर डेरे डाल दिए, और उनके और ऐ के बीच एक तराई थी।
12. तब उसने कोई पांच हजार पुरूष चुनकर बेतेल और ऐ के मध्यस्त नगर की पश्चिम की ओर उन को घात में बैठा दिया।
13. और जब लोगों ने नगर की उत्तर ओर की सारी सेना को और उसकी पश्चिम ओर घात में बैठे हुओं को भी ठिकाने पर कर दिया, तब यहोशू उसी रात तराई के बीच गया।
14. जब ऐ के राजा ने यह देखा, तब वे फुर्ती करके सवेरे उठे, और राजा अपनी सारी प्रजा को ले कर इस्राएलियों के साम्हने उन से लड़ने को निकलकर ठहराए हुए स्थान पर जो अराबा के साम्हने है पहुंचा; और वह नहीं जानता था कि नगर की पिछली और लोग घात लगाए बैठे हैं।
15. तब यहोशू और सब इस्राएली उन से मानो हार मानकर जंगल का मार्ग ले कर भाग निकले।
16. तब नगर के सब लोग इस्राएलियों का पीछा करने को पुकार पुकार के बुलाए गए; और वे यहोशू का पीछा करते हुए नगर से दूर निकल गए।
17. और न ऐ में और ने बेतेल में कोई पुरूष रह गया, जो इस्राएलियों का पीछा करने को न गया हो; और उन्होंने नगर को खुला हुआ छोड़कर इस्राएलियों का पीछा किया।