23. वे मेरी प्रजा को पवित्र अपवित्र का भेद सिखाया करें, और शुद्ध अशुद्ध का अन्तर बताया करें।
24. और जब कोई मुक़द्दमा हो तब न्याय करने को भी वे ही बैठें, और मेरे नियमों के अनुसार न्याय करें। मेरे सब नियत पर्वों के विषय भी वे मेरी व्यवस्था और विधियां पालन करें, और मेरे विश्राम दिनों को पवित्र मानें।
25. वे किसी मनुष्य की लोथ के पास न जाएं कि अशुद्ध हो जाएं; केवल माता-पिता, बेटे-बेटी; भाई, और ऐसी बहिन की लोथ के कारण जिसका विवाह न हुआ हो वे अपने को अशुद्ध कर सकते हैं।
26. और जब वे अशुद्ध हो जाएं, तब उनके लिये सात दिन गिने जाएं और तब वे शुद्ध ठहरें,
27. और जिस दिन वे पवित्रस्थान अर्थात भीतरी आंगन में सेवा टहल करने को फिर प्रवेश करें, उस दिन अपने लिये पापबलि चढ़ाएं, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी हे।