42. फिर होमबलि के लिये तराशे हुए पत्थर की चार मेज़ें थीं, जो डेढ़ हाथ लम्बी, डेढ़ हाथ चौड़ी, और हाथ भर ऊंची थीं; उन पर होमबलि और मेलबलि के पशुओं को वध करने के हथियार रखे जाते थे।
43. भीतर चारों ओर चौवे भर की अंकडिय़ां लगी थीं, और मेज़ों पर चढ़ावे का मांस रखा हुआ था।
44. और भीतरी आंगन की उत्तरी फाटक की अलंग के बाहर गाने वालों की कोठरियां थीं जिनके द्वार दक्खिन ओर थे; और पूवीं फाटक की अलंग पर एक कोठरी थी, जिसका द्वार उत्तर ओर था।
45. उसने मुझ से कहा, यह कोठरी, जिसका द्वार दक्खिन की ओर है, उन याजकों के लिये है जो भवन की चौकसी करते हैं,