18. और यह फर्श अर्थात निचला फर्श फाटकों से लगा हुआ था और उनकी लम्बाई के अनुसार था।
19. फिर उसने निचले फाटक के आगे से ले कर भीतरी आंगन के बाहर के आगे तक मापकर सौ हाथ पाए; वह पूर्व और उत्तर दोनों ओर ऐसा ही था।
20. तब बाहरी आंगन के उत्तरमुखी फाटक की लम्बाई और चौड़ाई उसने मापी।
21. और उसकी दोनों ओर तीन तीन पहरे वाली कोठरियां थीं, और इसके भी खम्भों के ओसारे की माप पहिले फाटक के अनुसार थी; इसकी लम्बाई पचास और चौड़ाई पच्चीस हाथ की थी।
22. और इसकी भी खिड़कियों और खम्भों के ओसारे और खजूरों की माप पूर्वमुखी फाटक की सी थी; और इस पर चढ़ने को सात सीढिय़ां थीं; और उनके साम्हने इसका ओसारा था।
23. और भीतरी आंगन की उत्तर और पूर्व ओर दूसरे फाटकों के साम्हने फाटक थे और उसने फाटकों की दूरी माप कर सौ हाथ की पाई।
24. फिर वह मुझे दक्खिन ओर ले गया, और दक्खिन ओर एक फाटक था; और उसने इसके खम्भे और खम्भों का ओसारा माप कर इनकी वैसी ही माप पाई।
25. और उन खिड़कियों की नाईं इसके और इसके खम्भों के ओसारों के चारों ओर भी खिड़कियां थीं; इसकी भी लम्बाई पचास और चौड़ाई पच्चीस हाथ की थी।
26. और इस में भी चढ़ने के लिये सात सीढिय़ां थीं और उनके साम्हने खम्भों का ओसारा था; और उसके दोनों ओर के खम्भों पर खजूर के पेड़ खुदे हुए थे।
27. और दक्खिन ओर भी भीतरी आंगन का एक फाटक था, और उसने दक्खिन ओर के दोनों फाटकों की दूरी माप कर सौ हाथ की पाई।
28. तब वह दक्खिनी फाटक से हो कर मुझे भीतरी आंगन में ले गया, और उसने दक्खिनी फाटक को माप कर वैसा ही पाया।
29. अर्थात इसकी भी पहरे वाली कोठरियां, और खम्भे, और खम्भों का ओसारा, सब वैसे ही थे; और इसके और इसके खम्भों के ओसारे के भी चारों ओर भी खिड़कियां थीं; और इसकी लम्बाई पचास और चौड़ाई पच्चीस हाथ की थी।