34. जिस समय तू अथाह जल में लहरों से टूटी, उस समय तेरे व्योपार का माल, और तेरे सब निवासी भी तेरे भीतर रहकर नाश हो गए।
35. टापुओं के सब रहने वाले तेरे कारण विस्मित हुए; और उनके सब राजाओं के रोएं खड़े हो गए, और उनके मुंह उदास देख पड़े हैं।
36. देश देश के व्योपारी तेरे विरुद्ध हथौड़ी बजा रहे हैं; तू भय का कारण हो गई है और फिर स्थिर न रह सकेगी।