9. और वह तेरी शहरपनाह के विरुद्ध युद्ध के यन्त्र चलाएगा और तेरे गुम्मटों को फरसों से ढा देगा।
10. उसके घोड़े इतने होंगे, कि तू उनकी धूलि से ढंप जाएगा, और जब वह तेरे फाटकों में ऐसे घुसेगा जैसे लोग नाके वाले नगर में घुसते हैं, तब तेरी शहरपनाह सवारों, छकड़ों, और रथों के शब्द से कांप उठेगी।
11. वह अपने घोड़ों की टापों से तेरी सब सड़कों को रौन्द डालेगा, और तेरे निवासियों को तलवार से मार डालेगा, और तेरे बल के खंभे भूमि पर गिराए जाएंगे।
12. और लोग तेरा धन लूटेंगे और तेरे व्यापार की वस्तुएं छीन लेंगे; वे तेरी शहरपनाह ढा देंगे और तेरे मनभाऊ घर तोड़ डालेंगे; तेरे पत्थर और काठ, और तेरी धूलि वे जल में फेंक देंगे।
13. और मैं तेरे गीतों का सुरताल बन्द करूंगा, और तेरी वीणाओं की ध्वनि फिर सुनाई न देगी।
14. मैं तुझे नंगी चट्टान कर दूंगा; तू जाल फैलाने ही का स्थान हो जाएगा; और फिर बसाया न जाएगा; क्योंकि मुझ यहोवा ही ने यह कहा है, परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है।
15. परमेश्वर यहोवा सोर से यों कहता है, तेरे गिरने के शब्द से जब घायल लोग कराहेंगे और तुझ में घात ही घात होगा, तब क्या टापू न कांप उठेंगे?
16. तब समुद्रतीर के सब प्रधान लोग अपने अपने सिंहासन पर से उतरेंगे, और अपने बागे और बूटेदार वस्त्र उतार कर थरथराहट के वस्त्र पहिनेंगे और भूमि पर बैठ कर क्षण क्षण में कांपेंगे; और तेरे कारण विस्मित रहेंगे।
17. और वे तेरे विषय में विलाप का गीत बना कर तुझ से कहेंगे, हाय! मल्लाहों की बसाई हुई हाय! सराही हुई नगरी जो समुद्र के बीच निवासियों समेत सामथीं रही और सब टिकने वालों की डराने वाली नगरी थी, तू कैसी नाश हुई है?