38. फिर उन्होंने मुझ से ऐसा बर्ताव भी किया कि उसी के साथ मेरे पवित्रस्थान को भी अशुद्ध किया और मेरे विश्रामदिनों को अपवित्र किया है।
39. वे अपने लड़के-बाले अपनी मूरतों के साम्हने बलि चढ़ाकर उसी दिन मेरा पवित्रस्थान अपवित्र करने को उस में घुसी। देख, उन्होंने इस भांति का काम मेरे भवन के भीतर किया है।
40. और उन्होंने दूर से पुरुषों को बुलवा भेजा, और वे चले भी आए। उनके लिये तू नहा धो, आंखों में अंजन लगा, गहने पहिन कर;
41. सुन्दर पलंग पर बैठी रही; और तेरे साम्हने एक मेज़ बिछी हुई थी, जिस पर तू ने मेरा धूप और मेरा तेल रखा था।
42. तब उसके साथ निश्चिन्त लोगों की भीड़ का कोलाहल सुन पड़ा, और उन साधारण लोगों के पास जंगल से बुलाए हुए पियक्कड़ लोग भी थे; उन्होंने उन दोनों बहिनों के हाथों में चूडियां पहिनाईं, और उनके सिरों पर शोभायमान मुकुट रखे।
43. तब जो क्यभिचार करते करते बुढिय़ा हो गई थी, उसके विषय मैं बोल उठा, अब तो वे उसी के साथ व्यभिचार करेंगे।
44. क्योंकि वे उसके पास ऐसे गए जैसे लोग वेश्या के पास जाते हैं। वैसे ही वे ओहोला और ओहोलीबा नाम महापापिनी स्त्रियों के पास गए।
45. सो धमीं लोग व्यभिचारिणियों और हत्यारों के योग्य उसका न्याय करें; क्योंकि वे व्यभिचारिणीयों और हत्यारों के योग्य उसका न्याय करें; क्योंकि वे व्यभिचारिणी है, और उनके हाथों में खून लगा है।
46. इस कारण परमेश्वर यहोवा यों कहता है, मैं एक भीड़ से उन पर चढ़ाई करा कर उन्हें ऐसा करूंगा कि वे मारी मारी फिरेंगी और लूटी जाएंगी।