17. और तू ने अपने सुशोभित गहने ले कर जो मेरे दिए हुए सोने-चान्दी के थे, उन से पुरुषों की मूरतें बना ली, और उन से भी व्यभिचार करने लगी;
18. और अपने बूटेदार वस्त्र ले कर उन को पहिनाए, और मेरा तेल और मेरा धूप उनके साम्हने चढ़ाया।
19. और जो भोजन मैं ने तुझे दिया था, अर्थात जो मैदा, तेल और मधु मैं तुझे खिलाता था, वह सब तू ने उनके साम्हने सुखदायक सुगन्ध कर के रखा; प्रभु यहोवा की यही वाणी है कि यों ही हुआ।
20. फिर तू ने अपने पुत्र-पुत्रियां ले कर जिन्हें तू ने मेरे लिये जन्म दिया, उन मूरतों को नैवेद्य कर के चढ़ाई। क्या तेरा व्यभिचार ऐसी छोटी बात थी;
21. कि तू ने मेरे लड़के-बाले उन मूरतों के आगे आग में चढ़ा कर घात किए हैं?
22. और तू ने अपने सब घृणित कामों में और व्यभिचार करते हुए, अपने बचपन के दिनों की कभी सुधि न ली, जब कि तू नंगी अपने लोहू में लोटती थी।
23. और तेरी उस सारी बुराई के पीछे क्या हुआ?
24. प्रभु यहोवा की यह वाणी है, हाय, तुझ पर हाय! कि तू ने एक गुम्मट बनवा लिया, और हर एक चौक में एक ऊंचा स्थान बनवा लिया;
25. और एक एक सड़क के सिरे पर भी तू ने अपना ऊंचा स्थान बनवा कर अपनी सुन्दरता घृणित करा दी, और हर एक यात्री को कुकर्म के लिये बुला कर महाव्यभिचारिणी हो गई।
26. तू ने अपने पड़ोसी मिस्री लोगों से भी, जो मोटे-ताज़े हैं, व्यभिचार किया और मुझे क्रोध दिलाने के लिये अपना व्यभिचार चढ़ाती गई।
27. इस कारण मैं ने अपना हाथ तेरे विरुद्ध बढ़ा कर, तेरा प्रति दिन का खाना घटा दिया, और तेरी बैरिन पलिश्ती स्त्रियां जो तेरे महापाप की चाल से लजाती है, उनकी इच्छा पर मैं ने तुझे छोड़ दिया है।
28. फिर भी तेरी तृष्णा न बुझी, इसलिये तू ने अश्शूरी लोगों से भी व्यभिचार किया; और उन से व्यभिचार करने पर भी तेरी तृष्णा न बुझी।
29. फिर तू लेन देन के देश में व्यभिचार करते करते कसदियोंके देश तक पहुंची, और वहां भी तेरी तृष्णा न बुझी।
30. प्रभु यहोवा की यह वाणी है कि तेरा हृदय कैसा चंचल है कि तू ये सब काम करती है, जो निर्लज्ज वेश्या ही के काम हैं?
31. तू ने हर एक सड़क के सिरे पर जो अपना गुम्मट, और हर चौक में अपना ऊंचा स्थान बनवाया है, क्या इसी में तू वेश्या के समान नहीं ठहरी? क्योंकि तू ऐसी कमाई पर हंसती है।
32. तू व्यभिचारिणी पत्नी है। तू पराये पुरुषों को अपने पति की सन्ती ग्रहण करती है।
33. सब वेश्याओं को तो रुपया मिलता है, परन्तु तू ने अपने सब मित्रों को स्वयं रुपए देकर, और उन को लालच दिखा कर बुलाया है कि वे चारों ओर से आकर तुझ से व्यभिचार करें।