17. जब दीन और दरिद्र लोग जल ढूंढ़ने पर भी न पाएं और उनका तालू प्यास के मारे सूख जाए; मैं यहोवा उनकी बिनती सुनूंगा, मैं इस्राएल का परमेश्वर उन को त्याग न दूंगां
18. मैं मुण्डे टीलों से भी नदियां और मैदानों के बीच में सोते बहऊंगा; मैं जंगल को ताल और निर्जल देश को सोते ही सोते कर दूंगा।
19. मैं जंगल में देवदार, बबूल, मेंहदी, और जलपाई उगाऊंगा; मैं अराबा में सनौवर, तिधार वृक्ष, और सीधा सनौबर इकट्ठे लगाऊंगा;
20. जिस से लोग देखकर जान लें, और सोचकर पूरी रीति से समझ लें कि यह यहोवा के हाथ का किया हुआ और इस्राएल के पवित्र का सृजा हुआ है॥
21. यहोवा कहता है, अपना मुकद्दमा लड़ो; याकूब का राजा कहता है, अपने प्रमाण दो।
22. वे उन्हें देकर हम को बताएं कि भविष्य में क्या होगा? पूर्वकाल की घटनाएं बताओ कि आदि में क्या क्या हुआ, जिस से हम उन्हें सोच कर जान सकें कि भविष्य में उनका क्या फल होगा; वा होने वाली घटनाएं हम को सुना दो।
23. भविष्य में जो कुछ घटेगा वह बताओ, तब हम मानेंगे कि तुम ईश्वर हो; भला वा बुरा; कुछ तो करो कि हम देख कर एक चकित हो जाएं।
24. देखो, तुम कुछ नहीं हो, तुम से कुछ नहीं बनता; जो कोई तुम्हें चाहता है वह घृणित है॥
25. मैं ने एक को उत्तर दिशा से उभारा, वह आ भी गया है; वह पूर्व दिशा से है और मेरा नाम लेता है; जैसा कुम्हार गिली मिट्टी को लताड़ता है, वैसा ही वह हाकिमों को कीच के समान लताड़ देगा।