10. वह रात-दिन न बुझेगी; उसका धूंआ सदैव उठता रहेगा। युग युग वह उजाड़ पड़ा रहेगा; कोई उस में से हो कर कभी न चलेगा।
11. उस में धनेशपक्षी और साही पाए जाएंगे और वह उल्लू और कौवे का बसेरा होगा। वह उस पर गड़बड़ की डोरी और सुनसानी का साहूल तानेगा।
12. वहां न तो रईस होंगे और न ऐसा कोई होगा जो राज्य करने को ठहराया जाए; उसके सब हाकिमों का अन्त होगा॥
13. उसके महलों में कटीले पेड़, गढ़ों में बिच्छू पौधे और झाड़ उगेंगे। वह गीदड़ों का वासस्थान और शुतुर्मुगों का आंगन हो जाएगा।
14. वहां निर्जल देश के जन्तु सियारों के संग मिलकर बसेंगे और रोंआर जन्तु एक दूसरे को बुलाएंगे; वहां लीलीत नाम जन्तु वासस्थान पाकर चैन से रहेगा॥
15. वहां उड़ने वाली सांपिन का बिल होगा; वे अण्डे देकर उन्हें सेवेंगी और अपनी छाया में बटोर लेंगी; वहां गिद्ध अपनी साथिन के साथ इकट्ठे रहेंगे।