9. इस से मनुष्य झुकते, और बड़े मनुष्य प्रणाम करते हैं, इस कारण उन को क्षमा न कर!
10. यहोवा के भय के कारण और उसके प्रताप के मारे चट्टान में घुस जा, और मिट्टी में छिप जा।
11. क्योंकि आदमियों की घमण्ड भरी आंखें नीची की जाएंगी और मनुष्यों का घमण्ड दूर किया जाएगा; और उस दिन केवल यहोवा ही ऊंचे पर विराजमान रहेगा॥
12. क्योंकि सेनाओं के यहोवा का दिन सब घमण्डियों और ऊंची गर्दन वालों पर और उन्नति से फूलने वालों पर आएगा; और वे झुकाए जाएंगे;
13. और लबानोन के सब देवदारों पर जो ऊंचे और बड़ें हैं;
14. बासान के सब बांजवृक्षों पर; और सब ऊंचे पहाड़ों और सब ऊंची पहाडिय़ों पर ;
15. सब ऊंचे गुम्मटों और सब दृढ़ शहरपनाहों पर ;
16. तर्शीश के सब जहाजों और सब सुन्दर चित्रकारी पर वह दिन आता है।
17. और मनुष्य का गर्व मिटाया जाएगा, और मनुष्यों का घमण्ड नीचा किया जाएगा; और उस दिन केवल यहोवा ही ऊंचे पर विराजमान रहेगा।
18. और मूरतें सब की सब नष्ट हो जाएंगी।
19. और जब यहोवा पृथ्वी के कम्पित करने के लिये उठेगा, तब उसके भय के कारण और उसके प्रताप के मारे लोग चट्टानों की गुफाओं और भूमि के बिलों में जा घुसेंगे॥
20. उस दिन लोग अपनी चान्दी-सोने की मूरतों को जिन्हें उन्होंने दण्डवत करने के लिये बनाया था, छछून्दरों और चमगीदड़ों के आगे फेंकेंगे,
21. और जब यहोवा पृथ्वी को कम्पित करने के लिये उठेगा तब वे उसके भय के कारण और उसके प्रताप के मारे चट्टानों की दरारों ओर पहाडिय़ों के छेदों में घुसेंगे।
22. सो तुम मनुष्य से परे रहो जिसकी श्वास उसके नथनों में है, क्योंकि उसका मूल्य है ही क्या?