1. हाय उन पर, जो बिछौनों पर पड़े हुए बुराइयों की कल्पना करते और दुष्ट कर्म की इच्छा करते हैं, और बलवन्त होने के कारण भोर को दिन निकलते ही वे उसको पूरा करते हैं।
2. वे खेतों का लालच कर के उन्हें छीन लेते हैं, और घरों का लालच कर के उन्हें भी ले लेते हैं; और उसके घराने समेत पुरूष पर, और उसके निज भाग समेत किसी पुरूष पर अन्धेर और अत्याचार कहते हैं।