5. इस पर पतरस ने यीशु से कहा; हे रब्बी, हमारा यहां रहना अच्छा है: इसलिये हम तीन मण्डप बनाएं; एक तेरे लिये, एक मूसा के लिये, और एक एलिय्याह के लिये।
6. क्योंकि वह न जानता था, कि क्या उत्तर दे; इसलिये कि वे बहुत डर गए थे।
7. तब एक बादल ने उन्हें छा लिया, और उस बादल में से यह शब्द निकला, कि यह मेरा प्रिय पुत्र है; उस की सुनो।
8. तब उन्होंने एकाएक चारों ओर दृष्टि की, और यीशु को छोड़ अपने साथ और किसी को न देखा॥
9. पहाड़ से उतरते हुए, उस ने उन्हें आज्ञा दी, कि जब तक मनुष्य का पुत्र मरे हुओं में से जी न उठे, तब तक जो कुछ तुम ने देखा है वह किसी से न कहना।
10. उन्होंने इस बात को स्मरण रखा; और आपस में वाद-विवाद करने लगे, कि मरे हुओं में से जी उठने का क्या अर्थ है?
11. और उन्होंने उस से पूछा, शास्त्री क्यों कहते हैं, कि एलिय्याह का पहिले आना अवश्य है?
12. उस ने उन्हें उत्तर दिया कि एलिय्याह सचमुच पहिले आकर सब कुछ सुधारेगा, परन्तु मनुष्य के पुत्र के विषय में यह क्यों लिखा है, कि वह बहुत दुख उठाएगा, और तुच्छ गिना जाएगा?
13. परन्तु मैं तुम से कहता हूं, कि एलिय्याह तो आ चुका, और जैसा उसके विषय में लिखा है, उन्होंने जो कुछ चाहा उसके साथ किया॥