43. और उन्होंने टुकडों से बारह टोकिरयां भर कर उठाई, और कुछ मछिलयों से भी।
44. जिन्हों ने रोटियां खाईं, वे पांच हजार पुरूष थे॥
45. तब उस ने तुरन्त अपने चेलों को बरबस नाव पर चढाया, कि वे उस से पहिले उस पार बैतसैदा को चले जांए, जब तक कि वह लोगों को विदा करे।
46. और उन्हें विदा करके पहाड़ पर प्रार्थना करने को गया।
47. और जब सांझ हुई, तो नाव झील के बीच में थी, और वह अकेला भूमि पर था।