38. और अराधनालय के सरदार के घर में पहुंचकर, उस ने लोगों को बहुत रोते और चिल्लाते देखा।
39. तब उस ने भीतर जाकर उस से कहा, तुम क्यों हल्ला मचाते और रोते हो? लड़की मरी नहीं, परन्तु सो रही है।
40. वे उस की हंसी करने लगे, परन्तु उस ने सब को निकालकर लड़की के माता-पिता और अपने साथियों को लेकर, भीतर जहां लड़की पड़ी थी, गया।
41. और लड़की का हाथ पकड़कर उस से कहा, ‘तलीता कूमी’; जिस का अर्थ यह है कि ‘हे लड़की, मैं तुझ से कहता हूं, उठ’।
42. और लड़की तुरन्त उठकर चलने फिरने लगी; क्योंकि वह बारह वर्ष की थी। और इस पर लोग बहुत चकित हो गए।
43. फिर उस ने उन्हें चिताकर आज्ञा दी कि यह बात कोई जानने न पाए और कहा; कि उसे कुछ खाने को दिया जाए॥