26. फिर उस ने कहा; परमेश्वर का राज्य ऐसा है, जैसे कोई मनुष्य भूमि पर बीज छींटे।
27. और रात को सोए, और दिन को जागे और वह बीज ऐसे उगे और बढ़े कि वह न जाने।
28. पृथ्वी आप से आप फल लाती है पहिले अंकुर, तब बाल, और तब बालों में तैयार दाना।
29. परन्तु जब दाना पक जाता है, तब वह तुरन्त हंसिया लगाता है, क्योंकि कटनी आ पहुंची है॥
30. फिर उस ने कहा, हम परमेश्वर के राज्य की उपमा किस से दें, और किस दृष्टान्त से उसका वर्णन करें?
31. वह राई के दाने के समान है; कि जब भूमि में बोया जाता है तो भूमि के सब बीजों से छोटा होता है।