6. यूहन्ना ऊंट के रोम का वस्त्र पहिने और अपनी कमर में चमड़े का पटुका बान्धे रहता था ओर टिड्डियाँ और वन मधु खाया करता था।
7. और यह प्रचार करता था, कि मेरे बाद वह आने वाला है, जो मुझ से शक्तिमान है; मैं इस योग्य नहीं कि झुक कर उसके जूतों का बन्ध खोलूं।
8. मैं ने तो तुम्हें पानी से बपतिस्मा दिया है पर वह तुम्हें पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देगा॥
9. उन दिनों में यीशु ने गलील के नासरत से आकर, यरदन में यूहन्ना से बपतिस्मा लिया।
10. और जब वह पानी से निकलकर ऊपर आया, तो तुरन्त उस ने आकाश को खुलते और आत्मा को कबूतर की नाई अपने ऊपर उतरते देखा।
11. और यह आकाशवाणी हई, कि तू मेरा प्रिय पुत्र है, तुझ से मैं प्रसन्न हूं॥
12. तब आत्मा ने तुरन्त उस को जंगल की ओर भेजा।
13. और जंगल में चालीस दिन तक शैतान ने उस की परीक्षा की; और वह वन पशुओं के साथ रहा; और स्वर्गदूत उस की सेवा करते रहे॥
14. यूहन्ना के पकड़वाए जाने के बाद यीशु ने गलील में आकर परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार प्रचार किया।
15. और कहा, समय पूरा हुआ है, और परमेश्वर का राज्य निकट आ गया है; मन फिराओ और सुसमाचार पर विश्वास करो॥
16. गलील की झील के किनारे किनारे जाते हुए, उस ने शमौन और उसके भाई अन्द्रियास को झील में जाल डालते देखा; क्योंकि वे मछुवे थे।
17. और यीशु ने उन से कहा; मेरे पीछे चले आओ; मैं तुम को मनुष्यों के मछुवे बनाऊंगा।
18. वे तुरन्त जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।
19. और कुछ आगे बढ़कर, उस ने जब्दी के पुत्र याकूब, और उसके भाई यहून्ना को, नाव पर जालों को सुधारते देखा।
20. उस ने तुरन्त उन्हें बुलाया; और वे अपने पिता जब्दी को मजदूरों के साथ नाव पर छोड़कर, उसके पीछे चले गए॥