11. और बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बहुतों को भरमाएंगे।
12. और अधर्म के बढ़ने से बहुतों का प्रेम ठण्डा हो जाएगा।
13. परन्तु जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा।
14. और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा॥
15. सो जब तुम उस उजाड़ने वाली घृणित वस्तु को जिस की चर्चा दानिय्येल भविष्यद्वक्ता के द्वारा हुई थी, पवित्र स्थान में खड़ी हुई देखो, (जो पढ़े, वह समझे )।
16. तब जो यहूदिया में हों वे पहाड़ों पर भाग जाएं।
17. जो को ठे पर हों, वह अपने घर में से सामान लेने को न उतरे।
18. और जो खेत में हों, वह अपना कपड़ा लेने को पीछे न लौटे।
19. उन दिनों में जो गर्भवती और दूध पिलाती होंगी, उन के लिये हाय, हाय।
20. और प्रार्थना किया करो; कि तुम्हें जाड़े में या सब्त के दिन भागना न पड़े।
21. क्योंकि उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा।
22. और यदि वे दिन घटाए न जाते, तो कोई प्राणी न बचता; परन्तु चुने हुओं के कारण वे दिन घटाए जाएंगे।
23. उस समय यदि कोई तुम से कहे, कि देखो, मसीह यहां हैं! या वहां है तो प्रतीति न करना।
24. क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिन्ह और अद्भुत काम दिखाएंगे, कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें।
25. देखो, मैं ने पहिले से तुम से यह सब कुछ कह दिया है।
26. इसलिये यदि वे तुम से कहें, देखो, वह जंगल में है, तो बाहर न निकल जाना; देखो, वह को ठिरयों में हैं, तो प्रतीति न करना।
27. क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्चिम तक चमकती जाती है, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा।