31. लोगों ने उन्हें डांटा, कि चुप रहें, पर वे और भी चिल्लाकर बोले, हे प्रभु, दाऊद की सन्तान, हम पर दया कर।
32. तब यीशु ने ख़ड़े होकर, उन्हें बुलाया, और कहा;
33. तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये करूं? उन्हों ने उस से कहा, हे प्रभु; यह कि हमारी आंखे खुल जाएं।
34. यीशु ने तरस खाकर उन की आंखे छूई, और वे तुरन्त देखने लगे; और उसके पीछे हो लिए॥