15. और वह उन पर हाथ रखकर, वहां से चला गया।
16. और देखो, एक मनुष्य ने पास आकर उस से कहा, हे गुरू; मैं कौन सा भला काम करूं, कि अनन्त जीवन पाऊं?
17. उस ने उस से कहा, तू मुझ से भलाई के विषय में क्यों पूछता है? भला तो एक ही है; पर यदि तू जीवन में प्रवेश करना चाहता है, तो आज्ञाओं को माना कर।
18. उस ने उस से कहा, कौन सी आज्ञाएं? यीशु ने कहा, यह कि हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना।
19. अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना।
20. उस जवान ने उस से कहा, इन सब को तो मैं ने माना है अब मुझ में किस बात की घटी है?