7. यीशु ने पास आकर उन्हें छूआ, और कहा, उठो; डरो मत।
8. तब उन्होंने अपनी आंखे उठाकर यीशु को छोड़ और किसी को न देखा।
9. जब वे पहाड़ से उतर रहे थे तब यीशु ने उन्हें यह आज्ञा दी; कि जब तक मनुष्य का पुत्र मरे हुओं में से न जी उठे तब तक जो कुछ तुम ने देखा है किसी से न कहना।
10. और उसके चेलों ने उस से पूछा, फिर शास्त्री क्यों कहते हैं, कि एलिय्याह का पहले आना अवश्य है?
11. उस ने उत्तर दिया, कि एलिय्याह तो आएगा: और सब कुछ सुधारेगा।
12. परन्तु मैं तुम से कहता हूं, कि एलिय्याह आ चुका; और उन्होंने उसे नहीं पहचाना; परन्तु जैसा चाहा वैसा ही उसके साथ किया: इसी रीति से मनुष्य का पुत्र भी उन के हाथ से दुख उठाएगा।
13. तब चेलों ने समझा कि उस ने हम से यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के विषय में कहा है।
14. जब वे भीड़ के पास पहुंचे, तो एक मनुष्य उसके पास आया, और घुटने टेक कर कहने लगा।
15. हे प्रभु, मेरे पुत्र पर दया कर; क्योंकि उस को मिर्गी आती है: और वह बहुत दुख उठाता है; और बार बार आग में और बार बार पानी में गिर पड़ता है।
16. और मैं उस को तेरे चेलों के पास लाया था, पर वे उसे अच्छा नहीं कर सके।
17. यीशु ने उत्तर दिया, कि हे अविश्वासी और हठीले लोगों मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूंगा? कब तक तुम्हारी सहूंगा? उसे यहां मेरे पास लाओ।
18. तब यीशु ने उसे घुड़का, और दुष्टात्मा उस में से निकला; और लड़का उसी घड़ी अच्छा हो गया।
19. तब चेलों ने एकान्त में यीशु के पास आकर कहा; हम इसे क्यों नहीं निकाल सके?
20. उस ने उन से कहा, अपने विश्वास की घटी के कारण: क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूं, यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर भी हो, तो इस पहाड़ से कह स को गे, कि यहां से सरककर वहां चला जा, तो वह चला जाएगा; और कोई बात तुम्हारे लिये अन्होनी न होगी।
21. जब वे गलील में थे, तो यीशु ने उन से कहा; मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथ में पकड़वाया जाएगा।