9. अपने पटुकों में न तो सोना, और न रूपा, और न तांबा रखना।
10. मार्ग के लिये न झोली रखो, न दो कुरते, न जूते और न लाठी लो, क्योंकि मजदूर को उसका भोजन मिलना चाहिए।
11. जिस किसी नगर या गांव में जाओ तो पता लगाओ कि वहां कौन योग्य है और जब तक वहां से न निकलो, उसी के यहां रहो।
12. और घर में प्रवेश करते हुए उस को आशीष देना।
13. यदि उस घर के लोग योग्य होंगे तो तुम्हारा कल्याण उन पर पहुंचेगा परन्तु यदि वे योग्य न हों तो तुम्हारा कल्याण तुम्हारे पास लौट आएगा।
14. और जो कोई तुम्हें ग्रहण न करे, और तुम्हारी बातें न सुने, उस घर या उस नगर से निकलते हुए अपने पांवों की धूल झाड़ डालो।
15. मैं तुम से सच कहता हूं, कि न्याय के दिन उस नगर की दशा से सदोम और अमोरा के देश की दशा अधिक सहने योग्य होगी॥
16. देखो, मैं तुम्हें भेड़ों की नाईं भेडिय़ों के बीच में भेजता हूं सो सांपों की नाईं बुद्धिमान और कबूतरों की नाईं भोले बनो।