7. परन्तु यहोवा सदैव सिंहासन पर विराजमान है, उसने अपना सिंहासन न्याय के लिये सिद्ध किया है;
8. और वह आप ही जगत का न्याय धर्म से करेगा, वह देश देश के लोगों का मुकद्दमा खराई से निपटाएगा॥
9. यहोवा पिसे हुओं के लिये ऊंचा गढ़ ठहरेगा, वह संकट के समय के लिये भी ऊंचा गढ़ ठहरेगा।
10. और तेरे नाम के जानने वाले तुझ पर भरोसा रखेंगे, क्योंकि हे यहोवा तू ने अपने खोजियों को त्याग नहीं दिया॥
11. यहोवा जो सिय्योन में विराजमान है, उसका भजन गाओ! जाति जाति के लोगों के बीच में उसके महाकर्मों का प्रचार करो!
12. क्योंकि खून का पलटा लेनेवाला उन को स्मरण करता है; वह दीन लोगों की दोहाई को नहीं भूलता॥
13. हे यहोवा, मुझ पर अनुग्रह कर। तू जो मुझे मृत्यु के फाटकों के पास से उठाता है, मेरे दु:ख को देख जो मेरे बैरी मुझे दे रहे हैं;
14. ताकि मैं सिय्योन के फाटकों के पास तेरे सब गुणों का वर्णन करूं, और तेरे किए हुए उद्धार से मगन होऊं॥
15. अन्य जाति वालों ने जो गड़हा खोदा था, उसी में वे आप गिर पड़े; जो जाल उन्होंने लगाया था, उस में उन्हीं का पांव फंस गया।
16. यहोवा ने अपने को प्रगट किया, उसने न्याय किया है; दुष्ट अपने किए हुए कामों में फंस जाता है।