5. वे न तो कुछ समझते और न कुछ बूझते हैं, परन्तु अन्धेरे में चलते फिरते रहते हैं; पृथ्वी की पूरी नीव हिल जाती है॥
6. मैं ने कहा था कि तुम ईश्वर हो, और सब के सब परमप्रधान के पुत्र हो;
7. तौभी तुम मनुष्यों की नाईं मरोगे, और किसी प्रधान के समान गिर जाओगे॥
8. हे परमेश्वर उठ, पृथ्वी का न्याय कर; क्योंकि तू ही सब जातियों को अपने भाग में लेगा!