8. तू मिस्त्र से एक दाखलता ले आया; और अन्यजातियों को निकाल कर उसे लगा दिया।
9. तू ने उसके लिये स्थान तैयार किया है; और उसने जड़ पकड़ी और फैल कर देश को भर दिया।
10. उसकी छाया पहाड़ों पर फैल गई, और उसकी डालियां ईश्वर के देवदारों के समान हुईं;
11. उसकी शाखाएं समुद्र तक बढ़ गई, और उसके अंकुर महानद तक फैल गए।
12. फिर तू ने उसके बाड़ों को क्यों गिरा दिया, कि सब बटोही उसके फलों को तोड़ते हैं?
13. जंगली सूअर उसको नाश किए डालता है, और मैदान के सब पशु उसे चर जाते हैं॥