60. उसने शीलो के निवास, अर्थात उस तम्बु को जो उसने मनुष्यों के बीच खडा किया था, त्याग दिया,
61. और अपनी सामर्थ को बन्धुआई में जाने दिया, और अपनी शोभा को द्रोही के वश में कर दिया।
62. उसने अपनी प्रजा को तलवार से मरवा दिया, और अपने निज भाग के लोगों पर रोष से भर गया।
63. उन के जवान आग से भस्म हुए, और उनकी कुमारियों के विवाह के गीत न गाए गए।
64. उनके याजक तलवार से मारे गए, और उनकी विधवाएं रोने न पाईं।
65. तब प्रभु मानो नींद से चौंक उठा, और ऐसे वीर के समान उठा जो दाखमधु पीकर ललकारता हो।
66. और उसने अपने द्रोहियों को मार कर पीछे हटा दिया; और उनकी सदा की नामधराई कराई॥
67. फिर उसने यूसुफ के तम्बू को तज दिया; और एप्रैम के गोत्रा को न चुना;