42. उन्होने न तो उसका भुजबल स्मरण किया, न वह दिन जब उसने उन को द्रोही के वश से छुड़ाया था;
43. कि उसने क्योंकर अपने चिन्ह मिस्त्र में, और अपने चमत्कार सोअन के मैदान में किए थे।
44. उसने तो मिस्त्रियों की नहरों को लोहू बना डाला, और वे अपनी नदियों का जल पी न सके।
45. उसने उनके बीच में डांस भेजे जिन्होंने उन्हे काट खाया, और मेंढक भी भेजे, जिन्होंने उनका बिगाड़ किया।