6. और अब वे उस भवन की नक्काशी को, कुल्हाडियों और हथौड़ों से बिलकुल तोड़े डालते हैं।
7. उन्होंने तेरे पवित्र स्थान को आग में झोंक दिया है, और तेरे नाम के निवास को गिरा कर अशुद्ध कर डाला है।
8. उन्होंने मन में कहा है कि हम इन को एकदम दबा दें; उन्होंने इस देश में ईश्वर के सब सभा स्थानों को फूंक दिया है॥
9. हम को हमारे निशान नहीं देख पड़ते; अब कोई नबी नहीं रहा, न हमारे बीच कोई जानता है कि कब तक यह दशा रहेगी।