14. परमेश्वर को धन्यवाद ही का बलिदान चढ़ा, और परमप्रधान के लिये अपनी मन्नतें पूरी कर;
15. और संकट के दिन मुझे पुकार; मैं तुझे छुड़ाऊंगा, और तू मेरी महिमा करने पाएगा॥
16. परन्तु दुष्ट से परमेश्वर कहता है: तुझे मेरी विधियों का वर्णन करने से क्या काम? तू मेरी वाचा की चर्चा क्यों करता है?
17. तू तो शिक्षा से बैर करता, और मेरे वचनों को तुच्छ जानता है।