7. परन्तु तू ही ने हम को द्रोहियोंसे बचाया है, और हमारे बैरियों को निराश और लज्जित किया है।
8. हम परमेश्वर की बड़ाई दिन भर करते रहते हैं, और सदैव तेरे नाम का धन्यवाद करते रहेंगे॥
9. तौभी तू ने अब हम को त्याग दिया और हमारा अनादर किया है, और हमारे दलों के साथ आगे नहीं जाता।
10. तू हम को शत्रु के साम्हने से हटा देता है, और हमारे बैरी मनमाने लूट मार करते हैं।
11. तू ने हमें कसाई की भेडों के समान कर दिया है, और हम को अन्य जातियों में तित्तर बित्तर किया है।
12. तू अपनी प्रजा को सेंत मेंत बेच डालता है, परन्तु उनके मोल से तू धनी नहीं होता॥
13. तू हमारे पड़ोसियों में हमारी नामधराई कराता है, और हमारे चारों ओर से रहने वाले हम से हंसी ठट्ठा करते हैं।
14. तू हम को अन्यजातियों के बीच में उपमा ठहराता है, और देश देश के लोग हमारे कारण सिर हिलाते हैं। दिन भर हमें तिरस्कार सहना पड़ता है,
15. और कलंक लगाने और निन्दा करने वाले के बोल से,
16. और शत्रु और बदला लेने वालों के कारण, बुरा- भला कहने वालों और निन्दा करने वालों के कारण।
17. यह सब कुछ हम पर बीता तौभी हम तुझे नहीं भूले, न तेरी वाचा के विषय विश्वासघात किया है।
18. हमारे मन न बहके, न हमारे पैर तरी बाट से मुड़े;