भजन संहिता 37:30-32 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

30. धर्मी अपने मुंह से बुद्धि की बातें करता, और न्याय का वचन कहता है।

31. उसके परमेश्वर की व्यवस्था उसके हृदय में बनी रहती है, उसके पैर नहीं फिसलते॥

32. दुष्ट धर्मी की ताक में रहता है। और उसके मार डालने का यत्न करता है।

भजन संहिता 37