1. आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है।
2. दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है।
3. न तोकोई बोली है और न कोई भाषा जहां उनका शब्द सुनाई नहीं देता है।
4. उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूंज गया है, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं। उन में उसने सूर्य के लिये एक मण्डप खड़ा किया है,