4. हे सब से ऊंचे आकाश, और हे आकाश के ऊपर वाले जल, तुम दोनों उसकी स्तुति करो।
5. वे यहोवा के नाम की स्तुति करें, क्योंकि उसी ने आज्ञा दी और ये सिरजे गए।
6. और उसने उन को सदा सर्वदा के लिये स्थिर किया है; और ऐसी विधि ठहराई है, जो टलने की नहीं॥
7. पृथ्वी में से यहोवा की स्तुति करो, हे मगरमच्छों और गहिरे सागर,
8. हे अग्नि और ओलो, हे हिम और कुहरे, हे उसका वचन मानने वाली प्रचण्ड बयार!
9. हे पहाड़ों और सब टीलो, हे फलदाई वृक्षों और सब देवदारों!
10. हे वन- पशुओं और सब घरैलू पशुओं, हे रेंगने वाले जन्तुओं और हे पक्षियों!
11. हे पृथ्वी के राजाओं, और राज्य राज्य के सब लोगों, हे हाकिमों और पृथ्वी के सब न्यायियों!